आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती का निर्माण कार्य अधूरा क्यों ? | अमरावती का निर्माण कार्य अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?

आंध्र के विजयवाड़ा से अमरावती के रास्ते कृष्णा नदी के किनारे तंबाकू, केला, मिर्च, कपास और सब्जियों की फसलें लहरा रही हैं, जो यहां की उपजाऊ जमीन और समृद्ध किसानी को दर्शाती हैं। करीब 20-22 किमी आगे बढ़ने पर 10-15 मंजिला ऊंची सैकड़ों बिल्डिंग का आधा-अधूरा सा बिखरा हुआ शहर मिलता है। कुछ इमारतें पूरी तरह तैयार हैं, कुछ आधी- अधूरी बनी हैं और कुछ में काम शुरू होते ही बंद हो गया। तैयार इन सुनसान इमारतों के आसपास ऊंची-ऊंची झाड़ियां उग आई हैं।

लोगों की मौजूदगी के बिना यह पूरा इलाका किसी डरावने जंगल की तरह जान पड़ता है। इसी जंगल के बीच आंध्र हाई कोर्ट में कामकाज चल रहा है। थोड़ा आगे बढ़ने पर 100 एकड़ में वीआईटी यूनिवर्सिटी का कैंपस है। दरअसल, यहां 2014 में राज्य से तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र की नई राजधानी अमरावती आकार ले रही थी। सिंगापुर की तर्ज पर बन रही अत्याधुनिक राजधानी के लिए यहां 29 गांवों के करीब 29 हजार किसानों ने अपनी 35 हजार एकड़ जमीन दी थी। निर्माण योजना सिंगापुर सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकारों ने तैयार की थी।

तेजी से काम शुरू हुआ। इस बीच चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के जगन मोहन रेड्डी प्रचंड बहुमत से सीएम बने। नई सरकार के आते ही कैपिटल सिटी का काम रोक दिया गया। इस वक्त तक सचिवालय, हाई कोर्ट, एमएलए क्वार्टर से लेकर प्रशासनिक अफसरों के कई अपार्टमेंट बन चुके थे। करीब 9 हजार करोड़ खर्च हो चुके थे और ठेकेदारों के हजारों करोड़ रुपए के बिल पेंडिंग थे। यह पूरा प्रोजेक्ट 1.09 लाख करोड़ रुपए का था। 9 महीने बाद रेड्डी ने तीन राजधानी (विशाखापत्तनम, रायलसीमा में कुर्नुल और अमरावती) बनाने का फैसला किया।

इस बात से आहत होकर अमरावती के किसानों ने धरना शुरू कर दिया। 1165 दिनों से 29 गांवों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही, कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। हाई कोर्ट ने किसानों के हक में फैसला सुनाया तो राज्य सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस बीच, जगन सरकार ने ऐलान किया है कि आंध्र की राजधानी विशाखापट्टनम होगी।

यहां अमरावती के वेलागपुडी गांव में धरना स्थल पर 63 वर्षीय किसान लक्ष्मी नारायण कहते हैं, ‘हमारे परिवार की 4 एकड़ जमीन थी, जो पूरी बर्बाद हो गई। हमने सोचा था कि यहां राजधानी बनेगी, आईटी से लेकर फॉर्मा कंपनियां आएंगी और विकास की इस सुनामी में हमारे दिन बदल जाएंगे। लेकिन एक आदमी (जगन मोहन रेड्डी) की जिद व प्रतिशोध ने सब कुछ तबाह कर दिया।

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